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मेरे 'शब्दों के शहर' में आप का हार्दिक स्वागत है। मेरी इस दुनिया में आप को देशप्रेम, गम, ख़ुशी, हास्य, शृंगार, वीररस, आंसु, आक्रोश आदि सब कुछ मिलेगा। हाँ, नहीं मिलेगा तो एक सिर्फ तनाव नहीं मिलेगा। जिंदगी ने मुझे बहुत कुछ दिया है। किस्मत मुज पर बहुत मेहरबान रही है। एसी कोई भावना नहीं जिस से किस्मत ने मुझे मिलाया नहीं। उन्हीं भावनाओं को मैंने शब्दों की माला में पिरोकर यहाँ पेश किया है। मुझे आशा है की मेरे शब्दों द्वारा मैं आप का न सिर्फ मनोरंजन कर सकूँगा बल्कि कुछ पलों के लिए 'कल्पना-लोक' में ले जाऊंगा। आइये आप और मैं साथ साथ चलते हैं शब्दों के फूलों से सजी कल्पनाओं की रंगीन दुनिया में....

Thursday 16 August 2012

विचार और स्वप्न


ख्वाब जैसे ख्याल होते हैं
इश्क में ये कमाल होते हैं
सीमा गुप्ता प्रसिद्ध कवियत्री हैं। अपनी उर्दू गज़लों में वे ज्यादातर प्यार से संबंधित विविध भावों को व्यक्त करती हैं।

प्रस्तुत शेर के उला मिसरे में कवियत्री ने विचार (ख्याल) को स्वप्न सामान कहा है। नींद के दौरान दिखनेवाले द्रश्यों को स्वप्न कहा जाता है। उन स्वप्नों की कोई निश्चित गति या प्रवाह नहीं होते। एशिया में स्थित हिमालय या अंगकोरवाट मंदिर या चीन की दीवार यूरोप या अमरिका में दिख सकते हैं। यूरोप का एफिल टावर, लन्दन ब्रिज या अमरिका का स्टेच्यु ऑफ़ लिबर्टी एशिया या ओस्ट्रेलिया में दिख सकते हैं। नींद खुलते ही (वास्तविकता का सामना होते ही) स्वप्न टूट जाते हैं।
इन्सान अपने लक्ष्य को भी स्वप्न कहता है। जैसे की मेरा स्वप्न है की मैं फार्म हॉउस बनाऊं, पचास लाख की कर लूँ, अमरिका घुमने के लिए जाऊं, मनचाही लड़की से शादी करूँ आदि आदि। इन्सान जब स्वप्न देखता है तब उसे पता नहीं होता वो सच होंगे की नहीं। सच हो जाये तो ठीक वर्ना वास्तविकता अक्सर स्वप्नों को तोड़ देती है। उन की गति या प्रवाह सफलता की तरफ होगा या निष्फलता की तरफ, ये तय नहीं होता।
 

  जैसा की ऊपर लिखा है स्वप्नों की कोई निश्चित गति या प्रवाह नहीं होते। एक विचार एसा आता है। जो बहुत महत्वपूर्ण होता है: तोअगला विचार जो आता है बिलकुल अर्थहीन होता है। मगर ये भी एक सच्चाई है की विचार ही हमें वास्तविकता से रूबरू करवाते हैं। शायद इन्हीं समानताओं के कारण कवियत्री ने विचारों को स्वप्नों जैसे कहा है।

सानी मिसरे में कवियत्री ने बताया है की विचार स्वप्न जैसे कब होते है। कवियत्री कहती है की ये कमाल ईश्क, प्यार, मुहब्बत के दौरान होता है। मुझे ये कमाल की बात लगी की कवियत्री ने विचारों की अस्थिरता को कमाल कहा है।
एक नमूना हो जिन्दगी जिन की
लोग वो बेमिसाल होते हैं
नमूना यानि उदहारण। जिनका जीवन उदाहरणीय होता है; प्रेरक होता है: वे लोग बेमिसाल होते हैं। ये सही है। ये शेर सरल पर उच्च कोटि का विचार पेश करता है।
महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोज़, ध्यानचंद, अब्दुल कलाम,शहीद सम्राट भगतसिंग से व्यक्तियों का जीवन उदाहराणीय है। इन सब के जीवन आज भी लोगों को प्रेरित करते है।
ईश्क बर्बाद हो गया कैसे?
हुस्न से सवाल होते हैं
प्रेम की भाषा में स्त्री को हुस्न व पुरुष को ईश्क कहा जाता है। कवियत्री कह रही है 'हुस्न से ईश्क की बर्बादी के कारण पूछे जा रहे हैं।' जब की सच ये है की ईश्क अकेला बर्बाद नहीं होता। बर्बादी की चक्की में उस के साथ हुस्न भी पिसता है। दोनों की बर्बादी के लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। जिस तरह एक हाथ से ताली नहीं बजती। एक व्यक्ति के कारण प्यार बर्बाद नहीं होता।
कवियत्री केर मन में भी कहीं न कहीं शायद ये बात है। शब्द-गति व शब्द-प्रवाह से मुझे एसा लग रहा है की कवियत्री को भी ये खटक रहा है की ये सवाल हुस्न से क्यों पूछा जा रहा है?
  


ता.12/08/2012 के दिन गुजराती अख़बार 'जयहिंद' में मेरी कोलम 'अर्ज़ करते हैं' में कवियत्री सीमा गुप्ता की ग़ज़ल के बारे में छपे विवेचन लेख का उचित परिवर्तनों के साथ हिंदी अनुवाद

4 comments:

  1. Thanks a lot Mahesh Soni ji for writing such nice and beautiful write up on my poetry and getting it published in Gujarati news paper "JAI HIND" . Really a great honor for me as well to see myself from a reader point of view. Thanks once again.

    Very beautiful presentation on Blog as well.
    Regards

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  2. शुक्रिया रेखा पटेल
    हौसला बढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  3. सीमा जी, खूबसूरत कमेन्ट के लिए आप का भी बहुत बहुत शुक्रिया

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